क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण

  • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण (सीबी एंड टी) प्रभाग का कार्य आवंटन:

    (i) प्रशिक्षण विकास कार्यकलाप:

    क) व्यापक संवर्ग प्रशिक्षण योजना का विकास करना

    ख) मध्य करियर प्रशिक्षण योजना का विकास करना

    ग) प्रशिक्षक कार्यक्रमों के प्रशिक्षण का विकास करना

    घ) दक्षता अंतर को समाप्त करने के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विकास करना

    (ii) प्रशिक्षण समन्वय कार्यकलाप:

    क. वार्षिक प्रशिक्षण योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समन्वय करना

    ख. मध्य करियर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए समन्वय करना

    ग. एनटीआईपीआरआईटी के साथ समन्वय करना

    घ. डीओटी और अन्य मंत्रालयों/संगठनों के विभिन्न विंगों के साथ समन्वय करना

    ङ. राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्रों और संस्थानों के साथ समन्वय करना

    च. समय-समय पर सौंपे गए अन्य संबंधित उत्तरदायित्व

    (iii) प्रशिक्षण और ज्ञान साझा करने संबंधी कार्यकलाप:

    क. दूरसंचार विभाग में अधिकारियों के उपलब्ध पूल से रुचि के विषयों पर प्रमाणित प्रशिक्षकों के पूल को चिन्हित करना और इसका विकास करना।

    ख. ऑनलाइन और वेब आधारित प्रशिक्षण और शिक्षण प्रबंधन प्रणाली विकसित करना।

    ग. राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और केंद्रीय लाइन मंत्रालयों की दूरसंचार अपेक्षाओं को पूरा करने पर केंद्रित सीआईओ कार्यक्रम विकसित करना।

    घ. कार्यशालाओं, केस स्टडीज का विकास, सर्वोत्तम परिपाटियों को साझा करना और रिपॉजिटरी का सृजन करना आदि के माध्यम से ज्ञान प्रबंधन करना और इसे साझा करना।

    (iv) क्षमता निर्माण कार्यकलाप:

    क. दूरसंचार क्षेत्र में क्षमता विकास के लिए भारत और विदेशों में अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना।

    ख. डीओटी की क्षमता निर्माण क्षमताओं का एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के लिए डीओटी के अधीन आने वाली विभिन्न फील्ड इकाइयों, पीएसयू/विभागों जैसे एनटीआईपीआरआईटी, एएलटीटीसी, टीईसी, सी-डॉट, टीसीआईएल आदि की प्रौद्योगिकीय और प्रबंधकीय निर्माण क्षमता का लाभ उठाना।

    ग. डीओटी के बाहर के हितधारकों यानी केंद्रीय लाइन मंत्रालयों, राज्य सरकारों, संघ राज्य क्षेत्रों, उद्योग संघों, आईटीयू, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय आदि के लिए क्षमता निर्माण कार्यकलापों का विस्तार करना।