वायरलेस आयोजना और समन्वय विंग

  • वायरलेस योजना और समन्वय (डब्ल्यूपीसी) विंग का कार्य आवंटन:

    1. स्पेक्ट्रम आयोजना, स्पेक्ट्रम प्रबंधन और विनियम से संबंधित सभी मामले जिनमें स्पेक्ट्रम नीति से संबन्धित मुद्दों का सृजन और विश्लेषण शामिल है।

    2. सैटेलाइट कक्षीय संसाधनों सहित रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रबंधन से संबंधित सभी मुद्दों पर आईटीयू (इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन) और एपीटी (एशिया पैसिफिक टेलीकम्युनिटी) के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी;

    3. सार्वजनिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, विज्ञान सेवाओं आदि सहित सभी भूस्थैतिक कक्षा सेवा और कुछ अन्य सेवाओं के साथ-साथ कुल 40 रेडियो संचार सेवाओं जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण सेवाएं वैमानिकी रेडियो-नेविगेशन सेवा, मोबाइल (सेलुलर मोबाइल सहित), फिक्स्ड सैटेलाइट सेवा हैं, का कुशल, न्यायसंगत और लागत प्रभावी प्रबंधन करना।

    4. भारत सरकार की ओर से रेडियो संचार से संबंधित सभी मामलों पर अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समन्वय करना और बहुपक्षीय/द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करना तथा देश में सभी आवृत्ति उपयोग के प्रबंधन के लिए भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों के साथ राष्ट्रीय समन्वय करना।

    5. पारंपरिक उपयोगकर्ताओं के पास उपलब्ध अप्रयुक्त/कम उपयोग वाले स्पेक्ट्रम के बदले में उभरती स्पेक्ट्रम कुशल रेडियो प्रौद्योगिकियों/ऐप्लीकेशनों के लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की वयवस्था करना, जिसे आमतौर पर स्पेक्ट्रम री-फार्मिंग के रूप में जाना जाता है, के लिए अंतर-मंत्रालयी समन्वय करना।

    6. अभिगम सेवा प्रदाताओं को स्पेक्ट्रम की नीलामी करने के उद्देश्य से स्पेक्ट्रम संसाधनों का प्रबंधन करना और अंतर-विभागीय समन्वय करना तथा स्पेक्ट्रम हार्मोनाइज़ेशन, ट्रेडिंग, शेयरिंग आदि के माध्यम से स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद भी स्पेक्ट्रम का प्रबंधन करना।

    7. स्पेक्ट्रम संबंधी मामले के संबंध में विभिन्न ट्राई सिफारिशों पर विचार करना; रेडियो स्पेक्ट्रम से संबन्धित विभिन्न नीतिगत प्रावधानों से जुड़े मुकदमों से संबन्धित कार्रवाई करना।

    8. मौजूदा कानूनों/नियमों/विनियमों और उनके संशोधनों की समीक्षा करके इन्हें अधिक प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय आवृत्ति आवंटन योजना (एनएफएपी) तैयार करना और तेजी से बदलते स्पेक्ट्रम उपयोग की जरूरतों को पूरा करना। नवीनतम एनएफएपी वर्ष 2018 में प्रकाशित हुई थी।

    9. उभरती वायरलेस प्रौद्योगिकियों में नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने और इसे सुकर बनाने के लिए स्पेक्ट्रम प्रबंधन नीति तैयार करना और फ्रीक्वेंसी बैंड को लाइसेंस मुक्त करना। यह पहल समकालीन अंतरराष्ट्रीय परिपाटियों के अनुरूप है और यह संभावित निवेशकों और उपयोगकर्ताओं को विनियामक निश्चितता भी प्रदान करता है।

    10. समय पर अंतरराष्ट्रीय हार्मोनाइज़ेशन, क्षेत्रीय/उप-क्षेत्रीय हार्मोनाइज़ेशन/समन्वय और द्विपक्षीय समझौतों के लिए क्षेत्रीय (एपीटी) और अंतर्राष्ट्रीय स्तर (आईटीयू-आर) में सम्मेलन, बैठकें और चर्चाएँ आयोजित करना।

    11. अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों नामतः अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ), अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ), विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ), गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम), एशिया और प्रशांत आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईएससीएपी), अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र मंच आदि के दूरसंचार क्षेत्र से संबन्धित प्रासंगिक मामलों पर राष्ट्रीय दृष्टिकोण को अंतिम रूप देना। स्पेक्ट्रम संबंधी मामलों पर द्विपक्षीय सहयोग और समझौतों का समन्वय और निष्पादन करना।

    12. भारतीय तार अधिनियम, 1885 के तहत वायरलेस टेलीग्राफ स्टेशन लाइसेंस की विभिन्न श्रेणियों जिसमें कैप्टिव, दूरसंचार, सैटेलाइट और प्रसारण सेवा प्रदाता शामिल हैं, के लिए लाइसेंस देना और इसे नवीकृत करना।

    13. सुरक्षा एजेंसियों, सरकारी संगठनों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी उपयोगकर्ताओं सहित सभी उपयोगकर्ताओं के संबंध में एचएफ, वीएचएफ, यूएचएफ और माइक्रोवेव रेडियो फ्रीक्वेंसी में फ्रीक्वेंसी सौंपना/लाइसेंस प्रदान करना।

    14. अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के रेडियो संचार ब्यूरो के साथ सैटेलाइट के आवश्यक तकनीकी मापदंडों का मल्टी-लैटरल समन्वय और पंजीकरण करना।

    15. सैटेलाइट संचार प्रणालियों की स्पेक्ट्रम आवश्यकताओं को पूरा करना और आईटीयू-आर की निर्धारित समन्वय प्रक्रिया के माध्यम से सैटेलाइट कक्षा का उपयोग करने का अधिकार भी प्राप्त करना।

    16. देश में सभी वायरलेस प्रतिष्ठानों की साइट मंजूरी और रेडियो फ्रीक्वेंसी आवंटन संबंधी स्थायी सलाहकार समिति (एसएसीएफए) से संबंधित मामले।

    17. ऑन बोर्ड जहाजों पर ग्लोबल मैरीटाइम डिस्ट्रेस एंड सेफ्टी सिस्टम (जीएमडीएसएस) उपकरणों और ऑन बोर्ड विमान पर रेडियो टेलीफोन (आरटी) उपकरणों के प्रचालकों को लाइसेंस/प्रमाण-पत्र जारी करना तथा अंतरराष्ट्रीय विनियमों के अनुरूप प्रवीणता परीक्षा आयोजित करने के बाद रेडियो एमेच्योर (एचएएम) को लाइसेंस/प्रमाण-पत्र जारी करना।

    18. डब्ल्यूपीसी के अधीन नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और गुवाहाटी में स्थित क्षेत्रीय लाइसेंसिंग कार्यालय (आरएलओ) अपने अधीन आने वाले क्षेत्रों के आयात लाइसेंस, कब्ज़ा लाइसेंस (डीलर/गैर-डीलर), प्रायोगिक लाइसेंस, प्रदर्शन लाइसेंस, शॉर्ट रेंज यूएचएफ हैंड-हेल्ड लाइसेंस आदि जैसे नेटवर्क और गैर-नेटवर्क लाइसेंस जारी करते है और इन्हें नवीकृत करते हैं।

    19. आरएलओ लाइसेंस रहित बैंड में कार्य करने वाले उपकरणों के लिए उपकरण प्रकार अनुमोदन (ईटीए) भी जारी करता है। जैसे-जैसे अधिक बैंड लाइसेंस रहित हो रहे हैं और वायरलेस ऐप्लीकेशन्स का उपयोग बढ़ रहा है, आरएलओ यह सुनिश्चित करता है कि केवल प्रमाणित उपकरण (अधिकृत मापदंडों के साथ) की अनुमति दी जाए।

    20. भारतीय बेतार टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और नियमों और इसे तहत आने वाले सभी मामले पर कार्रवाई करना।